पर न जाने बात क्या है
इन्द्र का आयुध जो पुरुष झेल सकता है,
सिंह से बाहें मिला कर खेल सकता है,
बुद्धि के रहते निरुपाय हो जाता है,
शक्ति के रहते, असहाय हो जाता है
बिद्ध हो जाता है, सहज बंकिम नयन के बाण से
जीत लेती रूपसी नारी उसे मुस्कान से
रामधारी सिंह "दिनकर"
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