कौन हो तुम?... नही संशय
तुम ही मेरा परिचय
तुम मंज़िल हो मेरे मन चंचल की
भूत, भविष्य और आज
तुम ही दिल की आवाज़
जीवन मुल्य जो न क्रय
तुम ही मेरा परिचय
सूखे वयक्तित्वा पर जो बरसी बादल सी
तुम ही मेरा आचरण
तुम हे मेरा अलंकरण
तुम जय, तुम ही पराजय
तुम ही मेरा परिचय
तुम आकाश और मेरा धरातल भी
तुम अंदाज़ जीवन का
तुम तुलसी आँगन का
तुम मेरा भाग्योदय
तुम ही मेरा परिचय
मुझ मुसाफिर को तलाश तेरी आँचल थी
तुम वीराना, तुम ही घर
तुम नज़ारा, तुम नज़र
सैशव, युवा या फिर वय
तुम ही मेरा परिचय
मेरा इमान और आंखों का जल भी
तुम बुद्धि, तुम ही शक्ति
मेरी सर्वश्रेष्ट संपत्ति
जीवन भर का संचय
तुम ही मेरा परिचय
तुम बिन जीवन नैया थी पागल सी
तुम हो सपन सलोना
तुम हँसी, तुन्हीं रोना
सिवा तुम्हारे, किस्से भय
तुम ही मेरा परिचय
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