१०.१०.१९९१
9.00 pm
रूठ कर मुझे न सताओ, हंसा करो,
कुछ मैं झुकता हूँ, कुछ तुम झुका करो
मैं उन दिनों को याद कर तड़प रहा हूँ
गुस्सा छोड़, अब तो प्यार से मिला करो
मुस्कुरा कर दिल का चमन महका दो
सुंदर सा खिल कर गुलाब छुआ करो
उदास हो कर क्यों मुझको रुलाते हो
दिल की बात हमसे दिलसे किया करो
यह दर्द ना सह पाऊँगा, मर जाऊंगा
हमे थम लो, कुछ दवा करो
यह बहस ख़त्म करो तुम पंकज और
वोह मान जाए जोई ऐसी दुआ करो
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment