Jun 9, 2009

Kuch Shair

पसीना मौत का माथे पे आया आइना लाओ
हम अपनी ज़िन्दगी की आखिरी तस्वीर देखेंगे
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किसी से हाल-इ-दिल-इ-बेकरार कह न सके
की चश्मे-खास में आके भी आंसू बह न सके
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घर टपकता था, मेहमान था घर में
पानी पानी हो रही थी, आबरू बरसात में
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जो आँख वाले हैं उनकी जुबां पर ताले हैं
जो अँधा है वोह बोलता है, क्या किया जाए?
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लोग बाज़ार में आकर बिक भी गए
मेरी कीमत लगी की लगी रह गयी

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