८.१.९२
एक ज़माना बीत गया है, तुमसे मुलाकात किए
आ जाओ सुनो आँगन में, सावन की बरसात लिए
रंग बरसों, नूर बरसों, ज़िन्दगानी तर जाए
मरने का भी गम न हो, इतना हर लम्हा जिए
पल भर तुमसे दूर रहना, मुश्किल है बहुत मुश्किल
तनहा दिल हो जाता है, यादों की तूफ़ान लिए
पत्ता पत्ता, बूटा बूटा, हँसता है मेरे पागलपन पे
क्या हो जाता है 'पंकज' तुमसे यूंही बात किए
Oct 10, 2007
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