Oct 10, 2007

Gitika 22

२९. १. ९२

तुमसे यह जुदाई अब सही नही जाती
क्या दिल की हालत है कही नही जाती

तन से जुदा सही, दिलों में नही है दूरी
तुम्हे पाने की तमन्ना भी नही सही जाती

ख़ुद से ज्यादा मुझको तुमपर रहा है यकीन
यह आग ना लगाते तोह, बेखुदी नही जाती

ख़ुद को तुम्हारे पास आने से रोक लेता हूँ
पर उफ़ तुम्हारी यादें... बस यही नही जाती

दिल का सौदा कर पछताना कैसा 'पंकज'
डरता है मोहब्बत से, और आशिकी नही जाती.

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