तुम न मिल सके तोह क्या गम है
तुम्हारा अरमान हमें हर दम है
हमें ठुकराने का अंजाम सोचो ज़रा
तुम से हमारी दुनिया कायम है
यह किस मक़ाम पर ले आई जिन्दगी
जख्म तोह हज़ारों हैं, मरहम कम है
हमारा आशियाँ जलाकर तुम्हे रौशनी मिली
शुक्र-ऐ-खुदा, सफल मेरा जीवन है
कैसे कैसे लोग बस गए हैं शहर में
सच्ची बात कहना भी अब सितम है
यह चीज़ भी किस्मत वाले ही पाते हैं
तुम्हारी नफरत ही सही, क्या गम है
Oct 10, 2007
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