आज मैंने अपना, दीदा-ऐ-तर देखा है
आंखों में अश्कों का, पहला जशन देखा है
आइना था और मैं था, आमने सामने
बिन तेरे ख़ुद अपना, हाल-ऐ-परेशां देखा है
तनहाइयों में भी शोर होता है बहुत
उजालों में फैला हुआ अँधेरा देखा है
दीवानगी और दिल का रिश्ता है पुराना
जो फक्त मोहब्बत हो, वो दीवानापन देखा है
जुदाई दो वक्त की अब सह नही पाते "पंकज"
आज पहली बार तुझे, रोते हुए देखा है.
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