तुम्हारा प्यार
२८.१०.१९९२
मैं क़दमों का धूल था, नही शान-ऐ-महफिल
तुम्हारे प्यार ने मुझको बना दिया है काबिल
उजाले थे दुश्मन मेरे, दर्द मेरे साथी
तुम्हारी आए जीवन में, आसान हुई हर मुश्किल
तुम्हारे कमाल को मैं, बयाँ नही कर सकता
तूफ़ान से उबार कर, दिला दिया है साहिल
तुमने जो कर दिया है, बस खुदा ही कर पाता
वर्ना जिंदा लाशों से, क्या हुआ है हासिल
"पंकज" मिजाज़ का अपने, ख़ुद न था भरोसा
तुम्हारे सहारे मिल जायेगी, अब मुझे भी मंज़िल
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